What is software System Software और Application Software के बारे में बताइये सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में क्या डिफरेंट है ?
What is Software -
कंप्यूटर सिस्टम का वह पार्ट जिसे टच नहीं किया जा सकता केवल फील किया जा सकता है सॉफ्टवेयर कहलाता है कंप्यूटर सॉफ्टवेयर दो तरह के होते है !
Types Of Software-
1. System Software-
सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते है जो कंप्यूटर सिस्टम की सभी इंटरर्नल व एक्सटर्नल एक्टिविटी को मैनेज करता है सॉफ्टवेयर यूजर और कंप्यूटर के बीच इंटरफ़ेस प्रोवाइड करता है ! सिस्टम सॉफ्टवेयर कई तरह के होते है !
Operating System Software -
ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम को स्टार्ट करने के बाद लोड किया जाता है यह कंप्यूटर सिस्टम का मैं पार्ट होता है जो भी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन कंप्यूटर सिस्टम में इनस्टॉल किया जाते है सभी ऑपरेटिंग सिस्टम से जुड़ते जाते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंप्यूटर को यूजेबल बनता है !ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर जैसे - Windows ,Linux ,Unix आदि !
Language Translator -
लैंग्वेज ट्रांसलेटर ऐसे सिस्टम सॉफ्टवेयर होते है जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करता है लैंग्वेज ट्रांसलेटर कई तरह के होते है !
1.-Compiler -
यह एक तरह का सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जो हाई लेवल लैंग्वेज को मशीन लेवल लैंग्वेज में परिवर्तित करता है यह किसी भी प्रोग्राम को एक साथ ट्रांसलेट करता है और प्रोग्राम कोड में एरर या मिस्टेक आने पर इनफार्मेशन देता है यह फ़ास्ट स्पीड में वर्क करता है !
2.Interpreter-
यह भी एक तरह का सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जो हाई लेवल लैंग्वेज को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करता है लेकिन यह कम्पाइलर से थोड़ा भिन्न्न है यह किसी भी स्टेटमेंट को एक बार में ट्रांसलेट करता है लेकिन प्रोग्रमम कोड में कहीं गलती होने पर प्रोग्राम के रनिंग मोड को रोक देता है ! यह कम्पाइलर से स्लो कार्य करता है !
3.Assembler-
असेंब्लर भी एक तरह का Language translator है जो असेंबली में ट्रांसलेट करता है ! यह असेंबली लैंग्वेज के Mnumonics code जैसे sub, mul, add को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करता है|
Utility Software-
यूटिलिटी साफ्टवेयर को सर्विस साफ्टवेयर के नाम से भी जाना जाता है | इसका यूज कम्प्यूटर सिस्टम की Internal Activity को manage करने के लिए किया जाता है| Utility software कई प्रकार के होते हैं|
Backup-
बैकअप एक ऐसा प्रोसेस है जिसका यूज़ Important data की कापी बनाकर रखने के लिए किया जाता है| जब भी वह Important data Loss या Unusable हो जाता है तो बैकअप की हेल्प से उसे फिर से एक्सेस किया जा सकता है| बैकअप कई प्रकार के होते हैं!
- Full backup
- Incremental backup
- Differential backup
- Cloud backup
Disk Cleanup-
यह एक तरह का सिस्टम टूल है| जो हार्डिस्क में उपस्थित Temporary file, unusable file, Recyclebin की temporary file etc. को डिलीट करके हार्डिस्क के स्पेस को बढाता है!
How to use Disk Cleanup-
Start - All Programm- Accessories - System Tools - Disk Cleanup
यहाँ एक विंडो ओपन होगी !
Clean up Tab में फाइलों के टाइप जिसे आप हटाना चाहते हैं उसे टिक करके OK पर क्लॉक करेंगे ! Delete फाइल पर क्लिक करेंगे डिस्क क्लीन हो जाएगी !
Disk Difragnmental -
यह भी एक तरह का सिस्टम टूल है ! जो हार्ड डिस्क में इधर उधर फैली फाइल्स को एक सिंगल Continous स्पेस में सेट कर सिस्टम की स्पीड बढाता है !
How To Use Disk Difragnmental -
Start - All Programm- Accessories - System Tools - Disk Difragnmental
यहाँ एक विंडो ओपन होगी !
यहाँ जिस भी डिस्क को डीफ्रैगनमेंट करना होता है उसे सेलेक्ट करके difrangnment disk ऑप्शन पर क्लिक करेंगे ! डिस्क डेफरागनमेंट हो जाएगी !
Application Software -
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं!जो किसी स्पेसिफिक टास्क के लिए डिज़ाइन किये जाते हैं ! इन सॉफ्टवेयर को यूजर अपने कंप्यूटर सिस्टम में अलग से डाउनलोड करता है ! एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कई तरह के होते हैं !
- MS OFFICE
- TALLY
- CORAL DRAW
- CHROME
- PHOTOSHOP ETC.
DIFFERENT BETWEEN SYSTEM SOFTWARE AND APPLICATION SOFTWARE-
System Software -
- सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम को रन करने के लिए इनस्टॉल किये जाते हैं !
- सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम के स्टार्ट होने से बंद होने तक रन है !
- सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर सिस्टम रन नहीं सकता !
- सिस्टम सॉफ्टवेयर लो लेवल लैंग्वेज जैसे असेंबली लैंग्वेज में लिखा जाता है !
Application Software -
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर किसी स्पेसिफिक टास्क को रन करने के लिए इनस्टॉल !
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर यूजर की रिक्वेस्ट के अनुसार रन होता है !
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के बिना यूजर का कंप्यूटर रन कर सकता है !
- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर हाई लिवेल लैंग्वेज जैसे - C ++,.net .VB etc. लैंग्वेज में लिखे जाते हैं !
DIFFERENT BETWEEN COMPILER AND INTERPRETER -
COMPILER -
- कम्पाइलर सोर्स कोड को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करता है !
- यदि प्रोग्राम में कोई एरर आती है तो उसे इंडीकेट करता है !
- कम्पाइलर में सोर्स कोड को ट्रांसलेट करने के लिए काम समय लगता है !
- यह इंटरप्रेटर से फ़ास्ट कार्य करता है !
- इसमें DEBUGGING करना आसान नहीं होता !
Interpreter -
- इंटरप्रेटर हाई लेवल में लिखे गए प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करता है !
- प्रोग्रमम कोड में एरर आने पर प्रोग्राम के रनिंग मोड को ब्रेक कर देता है !
- इंटरप्रेटर में सोर्स कोड को ट्रांसलेट करने में ज्यादा समय लगता है !
- यह कम्पाइलर से स्लो होता है !
- इसमें DEBUGGING करना आसान होता है
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